आधुनिक समाज में लिव इन रिलेशन भी एक फैशन का रूप लेता जा रहा है। यह बात और है कि लिव इन रिलेशन की यह संस्कृति भारत में कोई नई नहीं है। प्राचीन काल के सामाजिक संस्कृति का अध्ययन करें तो पता चलता है कि बगैर शादी किए भी स्त्री -पुरूष साथ रहते थे लेकिन वह भी सामाजिक तौर पर वर्जित हीं था। इधर ग्लोबलाईजेशन की इस दौर में जब पूरी दुनिया की संस्कृति, आर्थिक व्यवस्था, सामाजिक चाल-चलन में मिलावट होती जा रही है। ऐसे में भारत को सबसे ज्यादा आयातित संस्कृति के रूप में कोई चीज मिली है तो वह है लिव इन रिलेशन। आधुनिक समाज में इस रिलेशन को लेकर कई तरह की बातें होती हैं। कुछ बातें इस वर्जनाओं को लेकर है तो कई सामाजिक विज्ञानी इसे आधुनिक और खुलेपन से जोड़कर देख रहे हैं। लिव इन रिलेशन में सचमुच कोई बुराई नहीं है लेकिन यह भी सच है कि समाज में कोई भी रिलेशन आदर्श नहीं है तो उसकी कोई अहमियत नहीं रह जाती है। इस रिलेशन को लेकर खुलेपन की बात करनेवाली बहुत सारी महिला शक्तिओं का तर्क भले हीं कुछ भी हो लेकिन अधिकतर पुरातन सोच की महिलाएं आज भी इस रिलेशन को मान्यता देने से बचती हैं। यही हाल भारतीय पुरूषों का भी है। 90 वें के दशक के बाद खासकर ग्लोबलाईजेशन के बाद की पीढ़ी के बीच लिव इन रिलेशन का जौर कुलांचे मारने की तरह है। बहुत सारे इस रिलेशन में रह रहे हैं। लेकिन दुसरा सच यह भी है कि इस रिलेशन ने समाज को खंडित भी किया है और कई तरह की अफवाहें भी समाज में फैलती दिख रही है।
संसद तक में 2008 में इस मुद्दे पर बहुस हो चुकी है। तब एक बड़ा तबका भारतीय मूल्यों कीखातिर इस बदलाव के लिए तैयार नहीं है। लेकिन अदालतों ने मौजूदा कानून के तहत ही इस बदलाव को कानूनी मान्यता दे दी। वहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ रह रहे जोड़े को पति पत्नी का दर्जा देते हुए संपत्ति में भी बराबरी का हक देने की बात कही। वहीं 2014 और 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने दो फैसलों में लिव इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चे को संतान का दर्जा देते हुए लिव इनके संबंध को मान्यता प्रदान कर दी। भारत में लिव इन रिलेषनशिप पर कानून बनाने में विधायिका भले हीं संजीदा नहीं हो परंतु न्यायपालिका ने इसके पक्ष में कदम उठाया है। इस मामले में कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता नारायण दत्त तिवारी का मामला ध्यान देने योग्य है। उनकी लिव इन रिलेशनशिप से जन्मी संतान शेखर तिवारी को कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद तिवारी को अपना पिता कहलाने का हक मिला।