न्यूज डेस्क:
आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया को जगन्नाथपुरी के पुरुषोत्तम क्षेत्र में जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव का आयोजन किया जाता है। शनिवार 14 जुलाई भी आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि है, इसलिए वहां जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव का श्रीगणेश हो चुका है। ब्रह्माण्ड-पुराण में वर्णन है कि ‘आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को जो कोई भी भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचता है, उसकी स्वागत-आरती करता है और उनकी लीला का श्रवण करता है, तो भगवान उसे समस्त पापों से मुक्त करके वैकुण्ठ वास देते हैं।’ वहीं, गर्ग संहिता में वर्णन है, ‘कलियुग के आरंभिक 10,000 वर्षों तक करुणा अवतार भगवान जगन्नाथ जी इस धरती पर रहेंगे और अपने अधीनस्थों पर कृपा करेंगे।’
जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव की कथा
आज से 5000 वर्ष पूर्व उड़ीसा के राजा इंद्रधुम्न को भगवान के दर्शन की परम इच्छा को देखकर भगवान समुद्र में तैरते एक लकड़ी के तने के रूप में प्रकट हुए और उस तने पर अपनी मूर्ति बनाने की प्रेरणा दी। हजारों शिल्पकारों ने विग्रह बनाने का प्रयत्न किया, किंतु वह सब एक छिद्र भी न कर सके, तब विश्वकर्मा जी रूप बदल कर प्रकट हुए और कहा, ‘राजन हम 21 दिनों में आपका उद्देश्य पूर्ण कर देंगे, किंतु हमारे कक्ष में कोई प्रवेश नहीं करेगा।’
उत्सुकता और पत्नी के आग्रह पर राजा ने 15 दिन उस कक्ष में बिना अनुमति प्रवेश किया, तो भगवान के इस अधूरे रूप को पाकर घोर निराशा और पश्चात्ताप में विलाप करने लगे। दयनीय स्थिति होने पर एक दिन नारद जी ने प्रकट होकर कहा, ‘राजन आपको शोक नहीं करना चाहिए, अपितु प्रसन्न होना चाहिए, क्योंकि आपके पुरुषार्थ के कारण पृथ्वी वासियों को भगवान के दुर्लभ रूप के दर्शन होंगे। यह रूप भगवान ने द्वारिका-वासियों एवं ब्रह्मा को दिखाया था, जो अब समस्त संसार वासियों के लिए सुलभ रहेगा और प्रामाणिक विग्रह के रूप 10,000 वर्षों तक विराजमान रहेगा।’ तब राजा इंद्रधुम्न ने विशाल जगन्नाथ जी मंदिर का निर्माण करवाया, जो आज भी विराजमान है ।
भगवान जगन्नाथ जी के रथ का संक्षिप्त परिचय
1. रथ का नाम – नंदीघोष रथ
2. कुल काष्ठ खंडों की संख्या -832
3. कुल चक्के -16
4. रथ की ऊंचाई- 45 फीट
5. रथ की लंबाई-चौड़ाई – 34 फीट 6 इंच
6. रथ के सारथी का नाम – दारुक
7. रथ के रक्षक का नाम- गरुड़
8. रथ में लगे रस्से का नाम- शंखचूड़ नागुनी
9. पताके का रंग- त्रैलोक्य मोहिनी
10. रथ के घोड़ों के नाम – वराह, गोवर्धन, कृष्णा, गोपीकृष्णा, नृसिंह, राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान, रूद्र।
सुभद्रा जी के रथ का संक्षिप्त परिचय
1. रथ का नाम – देवदलन रथ
2. कुल काष्ठ खंडों की संख्या -593
3. कुल चक्के – 12
4. रथ की ऊंचाई- 43 फीट
5. रथ की लंबाई-चौड़ाई – 31 फीट 6 इंच
6. रथ के सारथी का नाम – अर्जुन
7. रथ के रक्षक नाम- जयदुर्गा
8. रथ में लगे रस्से का नाम- स्वर्णचूड़ नागुनी
9. पताके का रंग- नदंबिका
10. रथ के घोड़ों के नाम -रुचिका, मोचिका, जीत, अपराजिता।
बलभद्र जी के रथ का संक्षिप्त परिचय
1. रथ का नाम -तालध्वज रथ
2. कुल काष्ठ खंडों की संख्या -763
3. कुल चक्के -14
4. रथ की ऊंचाई- 44 फीट
5. रथ की लंबाई-चौड़ाई – 33 फीट
6. रथ के सारथी का नाम – मातली
7. रथ के रक्षक का नाम- वासुदेव
8. रथ में लगे रस्से का नाम- वासुकि नाग
9. पताके का रंग- उन्नानी
10. रथ के घोड़ों के नाम – तीव्र, घोर, दीर्घाश्रम, स्वर्ण नाभ।