न्यूज़ डेस्क :
बिहार में अभी सबकुछ शांत नहीं हुआ है। बीजेपी की सहयोगी सभी पार्टियां समय का इन्तजार कर रही है। वे अपना पत्ता समय आने पर खोलेगी। रामविलास की पार्टी लोजपा भले ही चुप्पी साधे हुए है लेकिन उसे भी पानी राजनीति बचाने की चाहत है। उधर कुशवाहा की पार्टी एक दूसरी राजनीति ही करती दिख रही है। कहने के लिए वह बीजेपी की सहयोगी है लेकिन वह अब नीतीश के चेहरे पर बिहार चुनाव नहीं लड़ना चाहती। खबर के मुताविक रालोसपा नेता नागमणि ने बीजेपी को कह भी दिया है कि आगामी लोक सभा चुनाव में रालोसपा नीतीश के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेगी जैसा कि जदयू और बीजेपी के बीच कहा सुना जा रहा है। अगर ऐसा होता है तोरालोसपा एनडीए से हट भी सकती है। बता दें कि रालोसपा के राजद के साथ जाकर चुनाव लड़ने की बड़ी चर्चा हो रही है। उसको वहां ज्यादा सीटें भी मिल सकती है।
उधर, नीतीश की पार्टी ने अपना रुख पहले साफ कर दिया है। उसने कह दिया है कि लोकसभा में उसे भाजपा के बराबर सीट चाहिए और नीतीश का चेहरा प्रोजेक्ट करके चुनाव लड़ना होगा। ध्यान रहे बिहार में नीतीश कुमार के पास खोने को अभी कुछ नहीं है। उनके सिर्फ दो लोकसभा सांसद हैं और किसी हाल में लड़ेंगे तो इस बार उनकी संख्या बढ़ जाएगी। दूसरी ओर भाजपा को अपने 22 सांसदों की सीट बचाने की चिंता करनी है। इसलिए जदयू के नेता मान रहे हैं कि भाजपा उनकी शर्तें मानेगी। नहीं मानी तो नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं।
यहीं स्थिति रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा की है। उसके नेता इंतजार कर रहे हैं कि सीटों का बंटवारा कैसे होता है और उससे सीट छोड़ने या अदला बदली की क्या बात होती है ? ध्यान रहे लोजपा की तीन सीटों पर जदयू की नजर है। अगर जदयू की चली तो वह जमुई, मुंगेर और नालंदा सीट मांगेगी। इसमें दो पर लोजपा जीती है और एक पर उसका उम्मीदवार हार गया था। यह भी खबर है कि इस बार गठबंधन में लोजपा को दो सीट छोड़ने के लिए कहा जा सकता है। अगर सीट छोड़ने या अदला बदली का ज्यादा दबाव पड़ा तो वे भी दूसरे गठबंधन में जाने के बारे में सोच सकते हैं।