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मैथिली साहित्य के वरिष्ठ लेखक और समालोचक मोहन भारद्वाज (आनंद मोहन झा) का सोमवार की सुबह करीब पांच बजे निधन हो गया। वे काफी दिनों से बीमार थे। रांची स्थित एक हॉस्पिटल में उनहें करीब एक महीने पहले भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उनकी स्थिति काफी नाजुक बताई थी। परिजनों के अनुसार वे काफी दिनों से कोमा में थे। बुधवार की सुबह उनका अंतिम संस्कार होगा।
मोहन भारद्वाज के निधन की जानकारी जैसे ही साहित्य सहित अन्य क्षेत्रों के लोगों के पास पहुंची, वैसे ही मातमी माहौल शुरू हो गया। मोहन भारद्वाज के सहकर्मी-सह-मैथिली साहित्यकार उदय चंद्र झा ‘विनोद’ ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि उनके जैसे आलोचक सदियों के बाद जन्म लेते हैं। मैथिली की वरिष्ठ लेखक-सह-पद्मश्री उषा किरण खां ने बताया, ‘करेज फाटि रहल अछि। मोहन भारद्वाज सन सकारात्मक व्यक्तित्व फेर नै भेटत। आब हमरे सबहक कते समय बांचल?’
वरिष्ठ लेखक-सह-साहित्यकार अमलेंदु शेखर पाठक ने कहा कि मोहन भारद्वाज के निधन से मैथिली साहित्य के आलोचना विधा को गहरी चोट लगी है। उन्होंने अपनी साहित्यिक छवि का विकास एक समालोचक के रूप में बखूबी किया, जिसकी आवश्यकता आज भी मैथिली को है। मैथिली में यह सबसे कमजोर विधा रही, जिसे मजबूत करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके अलावा मोहन भारद्वाज के निधन पर मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकारों पं चंद्रनाथ मिश्र अमर, डॉ. रामदेव झा, डॉ. रमानंद झा ‘रमण’ आदि के साथ मैथिली साहित्य अकादेमी के संयोजक प्रेम मोहन मिश्र ने भी शोक संवेदना जताई है। दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष समेत कई गणमान्य लोग भी पहुंचे थे।
उल्लेखनीय है कि मोहन भारद्वाज का जन्म मधुबनी के नवानी गांव में 09 फरवरी, 1943 को हुआ था। वे भारत सरकार के एजी ऑफिस, पटना लेखा विभाग में कार्यरत थे। जहां तक साहित्य क्षेत्र की बात है, तो उनके उल्लेखनीय योगदान को भुलाना मैथिली जगत के लिए आसान नहीं हो सकता। उन्होंने कथा-लेखन से साहित्य-यात्रा शुरू की थी। उनकी कुल 11 कथाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। बाद में इन्होंने आलोचना विधा क्षेत्र का चयन किया। इस क्रम में ‘अनवरत’, ‘एकल पाठ’, ‘कथा गोष्ठी’, ‘कवि गोष्ठी’ जैसी उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। मोहन भारद्वाज ने साहित्य अकादेमी के साथ ही मैथिली अकादेमी, चेतना समिति आदि संस्थाओं से सक्रिय रूप में जुड़कर अन्य विधाओं के विकास में भी महत्वपूर्ण सहयोग किया।