न्यूज डेस्क:
बाल मजदूरी के ख़िलाफ़ लड़ने वाले नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के जीवन और संघर्ष पर एक डॉक्यूमेंट्री ‘द प्राइस ऑफ फ्री’ बनाई गई थी। इस अवॉर्ड विनिंग डॉक्यूमेंट्री को अब यू ट्यूब ने दुनियाभर में रिलीज़ कर दिया है। ये डॉक्यूमेंट्री कैलाश सत्यार्थी के बाल मजदूरी और दासता को खत्म करने की अथक, अंतहीन और असाधारण कहानी को बड़े ही सार्थक अंदाज में बयान करने की कोशिश करती है। 93 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री में कैलाश सत्यार्थी और उनके बहादुर साथियों के उन साहसिक कदमों को दिखाया गया है। जिसके तहत वे कार्यस्थलों पर गुप्त छापामार कार्रवाई को अंजाम देते हैं और वहां से बाल बंधुआ मजदूरों को आज़ाद कराते हैं।
डॉक्यूमेंट्री का कंटेंट इतना मार्मिक है कि दर्शकों को आखिरी सीन तक अपने साथ बांधे रखने में सफल होता है। इस फिल्म के माध्यम से कैलाश सत्यार्थी के उन प्रयासों को दिखाने की कोशिश की गई है, जिसमें वे निःस्वार्थ भाव से उन कमजोर और वंचित तबकों के बच्चों को शोषण के चंगुल से मुक्त कराने में सफल होते हैं। यह फिल्म हमें उन हमलों और खतरों से भी आगाह कराती है, जिनका सामना कैलाश सत्यार्थी और उनके साथियों ने ‘सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत’ बनाने के सिलसिले में पिछले चालीस सालों में किया है।

‘द प्राइस ऑफ फ्री’ कैलाश सत्यार्थी की अगुवाई में हो रहे रेड एंड रेस्क्यू ऑपरेशंस को लाइव दिखाते हुए आगे बढ़ती है। बता दें कि यह ‘रेड एंड रेस्क्यू ऑपरेशंस’ हाशिए के बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लगभग 4 दशकों से काम कर रहे ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ (बीबीए) के बैनर तले चल रहे हैं। भारत की तंग और अंधेरी गलियों की फैक्ट्रियों, दुकानों और खानों में बेदाग और मासूम बच्चे किस ज़हालत में ग़ुलामी करने को अभिशप्त हैं और उनका बचपन किस तरह सिसक रहा है, इसका जीवंत प्रदर्शन करती है यह फिल्म। यह फिल्म विकासशील और विकसित दोनों देशों को समान रूप से प्रभावित करने में कामयाब होगी।
इस डॉक्यूमेंट्री के संबंध में कैलाश सत्यार्थी सत्यार्थी कहते हैं, ‘यह मेरे साथियों धूमदास, आदर्श किशोर और कालू कुमार के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि है, जिन्होंने बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा की खातिर अपनी जान की भी परवाह नहीं की।’ उन्होंने इस डॉक्यूमेंट्री को सबसे देखने की गुज़ारिश की और कहा कि वे एक ऐसी दुनिया के निर्माण में हमारा सहयोग करें, जहां सभी बच्चे स्वतंत्र, स्वस्थ, सुरक्षित और शिक्षित हों।
कैलाश के साहसिक अभियानों की कहानी असंभव सी लगती है- डेरेक डोनेन, निर्देशक
पिछले दो सालों से इस फिल्म को निर्देशित करने में व्यस्त रहे फिल्म के निर्देशक डेरेक डोनेन कहते हैं, ‘कैलाश के जीवन और संघर्षों को जानने के बाद मैं इतना अभिभूत हुआ कि उन पर फिल्म बनाने के लिए प्रेरित हो गया। यह फिल्म कैलाश के साहसिक अभियानों की कहानी कहती है, जो कई लोगों के लिए असंभव लग सकती है’।
फिल्म दर्शकों को यह समझने का मौका देती है कि आखिर वे क्या कारण हैं जिनकी वजह से लाखों बच्चे बाल मजदूरी और दासता के लिए ट्रैफिकर्स द्वारा बिछाए गए जाल में फंस जाते हैं? यह फिल्म सभी जिम्मेदार नागरिकों का आह्वान करती है कि वे बच्चों की सभी प्रकार की हिंसा और शोषण से रक्षा करें।
स्कूली बच्चों को फिल्म दिखाना चाहते हैं सत्यार्थी
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) का इरादा इस फिल्म को देश के हजारों स्कूलों और कॉलेजों में दिखाने का है। ताकि बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के प्रति लोग जागरूक हो सकें। ये फिल्म उन चुनौतियों को भी पेश करती है, जिनका सामना बाल अधिकार कार्यकर्ताओं को बच्चों को गुलामी के दलदल से मुक्त कराने के दरम्यान करना पड़ा। बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के दरम्यान किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इस पर फिल्म ने कुछ गंभीर सवाल भी उठाए हैं।
कार्यकर्ताओं को रेड एंड रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने से पहले पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आगाह करने के बाबत रोजाना एक से एक दुश्वारियों से जूझना पड़ता है। फिल्म इस हकीकत को भी बड़ी खूबसूरती से बयां करती है कि ट्रैफिकर्स की लाख धमकियों और हमलों के बावजूद बच्चों को शोषण के दलदल से निकालने में मशगूल कार्यकर्ता किस तरह अपने धैर्य, दृढ़ता और फौलादी प्रतिबद्धता का परिचय देते हैं।
डॉक्यूमेंट्री का यू ट्यूब लिंक