ब्यूरो रिपोर्ट :
समाजवादी पार्टी में रामगोपाल यादव को ‘प्रोफेसर साहेब’ कहा जाता है। उन्हें पढ़ा-लिखा नेता माना जाता है, लेकिन गुरुवार को जब उनसे केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर एक पत्रकार ने सवाल किया, तो वे न केवल भन्ना गए, बल्कि आपत्तिजनक भाषा भी बोल गए। अब बोल गए तो बोल गए, कोई उनका क्या बिगड़ लेगा! भतीजे ने 2019 के चुनाव की गोटी सेट कर रखी है। महागठबंधन बन चुका है। और, आने वाले समय में लालबत्ती की गाड़ी भी तय है। मजाल है किसी पत्रकार की कि कोई उनसे सवाल पूछे।
दरअसल, शुक्रवार को यानी 20 जुलाई को चार साल पुरानी मोदी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना है। पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी और उसके बाद शाम को वोटिंग होगी। एनडीए की सहयोगी रही तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने इसका नोटिस लोकसभा महासचिव को दिया था, जिसका कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी समर्थन किया। गुरुवार को जब रामगोपाल यादव मॉनसून सत्र में हिस्सा लेकर बाहर निकल रहे थे, तब एक पत्रकार ने उनसे अविश्वास प्रस्ताव पर सवाल कर दिया। प्रोफेसर रामगोपाल यादव पहले तो जवाब टालते रहे, लेकिन बार-बार कुरेदने पर आपा खो दिया और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग कर दिया। ‘प्रोफेसर साहेब’ के ऐसे जवाब से वहां खड़े पत्रकार सन्न रहे गए।
रामगोपाल यादव का समाजवादी पार्टी में काफी बड़ा कद है। वह सबसे लंबे समय से राज्यसभा (सांसद) में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह 1992 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उस दौरान वह विज्ञान और तकनीकी व पर्यावरण एवं वन समिति के सदस्य रहे। इसके बाद 1998 में फिर राज्यसभा के लिए चुने गए। वर्ष 2004 में ‘प्रोफेसर साहेब’ ने संभल सीट से लोकसभा चुनाव में हाथ आजमाया और जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद वर्ष 2008 में फिर राज्यसभा के लिए चुने गए। वहीं, 2014 में रामगोपाल को चौथी बार राज्यसभा के लिए चुना गया। अब इतने भारी-भरकम राजनीतिक करियर रखने वाला नेता एक मामूली सवाल पर अपना आपा खो दे, तो फिर इसे राजनीति का गिरता स्तर एवं बिगड़ता स्वरूप ही तो कहा जाएगा।