न्यूज डेस्क :
दो दिन पहले जिस शहर ने सांप्रदायिक सद्भाव की बेजोड़ मिसाल पेश की हो, अचानक वहां आगजनी हो जाए, दंगा हो जाए, किसी की हत्या हो जाए?…. कोई मानेगा? आखिर कैसे संभव हुआ? त्रासद स्थिति ऐसी कि एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई। मामला एक छोटे कस्बे से लेकर पुरे शहर को अपनी जद में लेता है और पूरा देश सन्न रह जाता है। यह हुआ है उसी प्रदेश में, जहां के मुखिया अपने राज्य को उत्तम प्रदेश बनाने की बात दोहराते नहीं अघाते हैं। हां, मामला उत्तर प्रदेश का है।
घटना बुलंदशहर की है। उसी बुलंदशहर की, जहां रविवार यानी 2 दिसंबर को हिदुओं ने दरियापुर में चल रहे इज्तेमा में आ रहे मुस्लिम समुदाय के लोग जब जाम में फंस गए, तो ग्रामीणों ने प्राचीन शिव मंदिर परिसर में ज़ोहर की नमाज अदा कराने की व्यवस्था कराई। नमाज के दौरान कोई परेशानी न हो, इसके लिए उनका पूरा ख्याल रखा गया। नमाज के बाद सभी को जलपान कराकर उन्हें इज्तमा के लिए खुशी-खुशी रवाना किया गया।
असल में, बुलंदशहर कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव जैनपुर के पास जाम में काफी लोग फंसे हुए थे और उसी दौरान ज़ोहर की नमाज का वक्त हो गया। बताया गया कि कुछ लोगों ने सड़क स्थित शिव मंदिर के बाहर नमाज पढ़नी शुरू कर दी थी। जैनपुर के ग्रामीणों ने जब लोगों को सड़क पर नमाज अदा करते देखा, तो उन्हें प्राचीन शिव मंदिर के प्रांगण में नमाज पढ़ने के लिए कहा। फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर पर जैनपुर के ग्रामीणों की खूब तारीफ हो रही हैं। रविवार को जब प्राचीन शिव मंदिर परिसर में मुस्लिम भाई ज़ोहर की नमाज अदा कर रहे थे, सभी लोगों की जुबां पर यही बात थी कि ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’। ग्रामीण लालू सिरोही, चमन शर्मा, सचिन गिरि व लक्ष्मण सिंह का कहना है कि मजहब के हिसाब से सब एक हैं। हिंदू-मुस्लिम हमारी सोच का फर्क है। नमाज के दौरान मुस्लिम भाइयों का पूरा ख्याल रखा गया था। प्राचीन शिव मंदिर कमेटी के प्रबंधक कन्हैया लाल शर्मा काफी खुश हैं। उनका कहना है कि मुस्लिम भाइयों ने मंदिर प्रांगण में नमाज अदा की। यह जैनपुर वासियों के लिए बड़े गर्व की बात है। उनका कहना है कि हिंदू-मुस्लिमों के बीच फूट पैदा करने वाले लोगों के मुंह पर यह तमाचा है। ग्राम प्रधान पति गंगा प्रसाद का कहना है कि मुस्लिम भी हमारे भाई हैं। मजहब की दीवार कभी आड़े नहीं आएगी।
उसी बुलंदशहर में दंगा होता है। लाठीचार्ज होता है। गोली चलाई जाती है और पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार की मौत हो जाती है। गौरतलब है कि सोमवार (3 दिसंबर, 2018) को स्याना थाना क्षेत्र के एक खेत में गोकशी की आशंका के बाद बवाल शुरू होता है। शिकायत मिलने पर सुबोध कुमार पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंचते हैं। इस मामले में एफआईआर दर्ज की जा रही थी, इतने में ही तीन गांवों से करीब 400 लोगों की भीड़ ट्रैक्टर-ट्रॉली में कथित गोवंश के अवशेष भरकर चिंगरावठी पुलिस चौकी के पास पहुंच गई और जाम लगा दिया। इसी दौरान भीड़ जब उग्र हुई, तो पुलिस ने काबू पाने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े। जल्द ही वहां फायरिंग भी होने लगी। इसमें सुबोध कुमार घायल हो गए और एक युवक भी जख्मी हो गया। सुबोध कुमार को अस्पताल ले जाने से रोका गया और उनकी कार पर जमकर पथराव भी किया गया। बाद में सुबोध कुमार की मौत गोली लगने से होने की पुष्टि की गई।
इसके बाद पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत के मामले को सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग दिए जाने की कोशिश की जाने लगी। दरअसल इस घटना के कुछ ही देर बाद एक चैनल के संपादक ने ट्वीट करके यह जताने की कोशिश की कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत का संबंध बुलंदशहर में चल रहे इज्तिमा से है। लेकिन बुलंदशहर की पुलिस ने सुदर्शन चैनल के संपादक के ट्वीट को ख़ारिज कर दिया। पुलिस ने बाक़ायदा संपादक के ट्वीट का ज़िक्र करते हुए कहा है, ‘कृपया भ्रामक ख़बर न फैलाएं। इस घटना का इज्तिमा कार्यक्रम से कोई संबंध नहीं है। इज्तिमा सकुशल संपन्न समाप्त हुआ है। उपरोक्त घटना इज्तिमा स्थल से 45-50 किलोमीटर दूर थाना स्याना क्षेत्र में घटित हुई है, जिसमें कुछ उपद्रवियों द्वारा घटना कारित की गई है। इस संबंध मे वैधानिक कार्यवाही की जा रही है।
अब सवाल उठता है कि जिस शहर ने एक दिन पहले हिंदू-मुस्लिम एकता का बेहतर प्रतिमान स्थापित किया हो, वहां के लोग अचानक कैसे इस कदर उग्र हो सकते हैं? कहीं इसके पीछे राजनीति तो नहीं? कहीं दहशतगर्दों के कंधों पर कुछ विशेष लोग अपनी सियासी रोटियां तो नहीं सेंकना चाहते हैं? बुलंदशहर में हुई हिंसा पर स्थानीय सांसद भोला सिंह ने कहा था कि सोमवार को गाय कटने के कुछ अवशेष बरामद हुए थे, जिसके कारण लोगों में गुस्सा था। यही कारण रहा कि लोगों ने वहां जाम लगाया, आक्रोश हुआ तो पुलिसवालों ने लाठीचार्ज किया। इसी दौरान वहां गोली चली और लड़के की मौत हो गई, पुलिसवाला भी घायल हुआ है। जो भी घटना हुई है, उसके लिए एसआईटी का गठन किया गया है, रिपोर्ट सामने आने से सारा खुलासा होगा।
क्षेत्रीय लोगों के अनुसार, मुस्लिम समुदाय के कार्यक्रम को ज़बरदस्ती इस घटना से जोड़ा जा रहा है। सरकार ने एसआईटी का गठन कर दिया है। उसकी रिपोर्ट में क्या जानकारी सामने आएगी, यह अभी देखने वाली बात है। हालांकि पुलिस की शुरुआती जांच के आधार पर कुछ रिपोर्टों में बताया गया है कि यह पूरा हंगामा एक साज़िश के तहत किया गया हो सकता है।
एक समाचार पत्र की एक रिपोर्ट में पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि घटनास्थल के नज़दीक खेत में दिखावे के लिए गाय के अवशेष जगह-जगह लटका कर रखे गए थे। रिपोर्ट में अधिकारियों और पुलिस सहित ग्रामीणों के भी बयान दर्ज किए जाने की बात कही गई है। इस बारे में रिपोर्ट में लिखा है, ‘महाव गांव में घटनास्थल पर पहुंचने वालों में सबसे पहले प्रशासनिक अधिकारियों में स्याना तहसीलदार राजकुमार भास्कर थे। उनका कहना है कि ईख के कई खेतों में गोवंश कटान कर रखा था। गाय के सिर और खाल आदि अवशेष गन्ने पर लटका रखे थे, जो दूर से ही दिख रहे थे। उनका कहना है कि यदि कोई व्यक्ति गोकशी करेगा, तो वह अवशेषों को इस तरह से नहीं लटकाएगा। आरोपी यही चाहेगा कि किसी को इस बात का पता नहीं चले। ऐसे में अधिक संभावना यही है कि सिर्फ़ माहौल को भड़काने के लिए गोकशी की गई हो।